Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
18 Mar 2022 · 1 min read

जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)

जल्दी उठना सीखो (बाल कविता)
■■■■■■■■■■■■■■■■■
चिड़ियाँ रोज सुबह उठती हैं
सुन्दर गाना गातीं,
अपनी मधुरिम आवाजों से
हमको सदा उठातीं ।

चिड़ियों का संदेश यही है
जल्दी उठना सीखो,
छोड़ फटाफट बिस्तर अपना
मुँह को धोए दीखो।
——————————————–
रचयिताः रवि प्रकाश ,बाजार सर्राफा
रामपुर (उत्तर प्रदेश)
मोबाइल 9997615451

1 Like · 627 Views
Books from Ravi Prakash
View all

You may also like these posts

जागी आँखें गवाही दे देंगी,
जागी आँखें गवाही दे देंगी,
Dr fauzia Naseem shad
ನನ್ನಮ್ಮ
ನನ್ನಮ್ಮ
ಗೀಚಕಿ
धमकी तुमने दे डाली
धमकी तुमने दे डाली
Shravan singh
सरमाया – ए – हयात
सरमाया – ए – हयात
Sakhi
#अद्भुत_प्रसंग
#अद्भुत_प्रसंग
*प्रणय*
सब कुछ हार जाओ आप इस जिंदगी में।
सब कुछ हार जाओ आप इस जिंदगी में।
Rj Anand Prajapati
"It’s dark because you are trying too hard. Lightly child, l
पूर्वार्थ
तकदीर
तकदीर
Sumangal Singh Sikarwar
आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए कृतज्ञता को अपनाना एक आध्या
आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए कृतज्ञता को अपनाना एक आध्या
Ravikesh Jha
नाकामयाबी
नाकामयाबी
भरत कुमार सोलंकी
*मेरी रचना*
*मेरी रचना*
Santosh kumar Miri
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
विकास की बाट जोहता एक सरोवर।
श्रीकृष्ण शुक्ल
"करिए ऐसे वार"
Dr. Kishan tandon kranti
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
कौन कहता है कि अश्कों को खुशी होती नहीं
Shweta Soni
हंसिए
हंसिए
Kunal Kanth
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
सांसों को धड़कन की इबादत करनी चाहिए,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
पूछा किसी ने  इश्क में हासिल है क्या
पूछा किसी ने इश्क में हासिल है क्या
sushil sarna
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
मन-क्रम-वचन से भिन्न तो नहीं थे
manorath maharaj
2849.*पूर्णिका*
2849.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
*पावन धरा*
*पावन धरा*
Rambali Mishra
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
सरस्वती माँ ज्ञान का, सबको देना दान ।
जगदीश शर्मा सहज
कोई भोली समझता है
कोई भोली समझता है
VINOD CHAUHAN
"ज्ञान रूपी दीपक"
Yogendra Chaturwedi
मेरे पिता
मेरे पिता
Arvina
जुदाई
जुदाई
Prithvi Singh Beniwal Bishnoi
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi and Gopal Das Neeraj together in a Kavi sammelan
Shankar lal Dwivedi (1941-81)
उम्मीदें जब बॅंध जाती है किसी से...
उम्मीदें जब बॅंध जाती है किसी से...
Ajit Kumar "Karn"
मौहब्बत
मौहब्बत
Phool gufran
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
यूँ डरकर मत लौट चलो, इतने करीब आकर।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
उसकी आंखों में मैंने मोहब्बत देखी है,
Jyoti Roshni
Loading...