जलियांवाला बाग,
जलियांवाले बाग में,एक बड़ी सभा बुलाई थी,
पुरुषों के साथ महिलाएं,बड़ी संख्या में आई थी।
देश पे मर मिटने की,सबने मिल के कसम खाई थी,
देख एकता लोगों की,गोरी हुकूमत घबराई थी।।
क्रूर जरनल डायर ने,सब पे भीषण गोली चलवाई थी।
जिसने सैकड़ों लोगों ने,फिर अपनी जान गवाई थी,
फिर उठी ऐसी चिंगारी,जो शोला बन कर छाई थी,
जालियां वाले बाग उस दिन,आई बड़ी तबाही थी ।।
उनको शत बार नमन है,जो देश पे जान गंवा गए,
भारत मां को आजाद करा,वो अपना फर्ज निभा गए।
झूल गए हंस कर फांसी पर,पर देश का मान बढ़ा गए
वो धन्य देश के मतवाले,जो देश पर शीश चढ़ा गए ।।
अनूप अम्बर
स्वरचित/मौलिक