Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
13 Apr 2023 · 2 min read

जलियांवाला बाग की घटना, दहला देने वाली थी

जलियांवाला बाग की घटना, दहला देने वाली थी
अंग्रेजी शासन की क़ूरता, बर्बर से बर्बर काली थी
निहत्थे लोगों पर गोलीबारी, शर्मसार करने वाली थी
मानवता पर दाग थी ये, गोरों की हरकत काली थी
छद्म सभ्य अंग्रेजों की करतूत, दुनिया को हिलाने वाली थी
आजादी की मांग दबाने,रौलट एक्ट बनाया था
सभा जुलूस और प्रेस पर,पावंदी जो लाया था
१३ अप्रैल १९१९ को,बैशाखी का शुभ दिन था
रौलट एक्ट के विरोध को, जलियांवाला बाग में आयोजन था
खुशी खुशी उस अवसर पर, हजारों सपूत जुटे थे
बूढ़े बच्चे नौजवान, स्त्रियों के भी कदम बढ़े थे
देश प्रेमियों को दहलाने की, अंग्रेजों ने ठानी थी
अंग्रेज अफसर ड्वायर ने,जनरल डायर की तैनाती की
जनरल डायर ने बैशाखी के दिन, भीषण नर संहार किया
निर्दोष निहत्थे नागरिकों स्त्री बच्चों को तक भून दिया
चारों तरफ से चल रहीं थीं गोलियां, नहीं भागने का रास्ता था
क़ूर फौज हत्यारा डायर,फायर पर फायर करता था
उस हत्यारे ने की राउंड गोलियां, भीड़ पर बरसाईं थीं
जान बचाने लोगों ने,बाग के कुएं में छलांग लगाई थी
पट गया कुआं भी लाशों से,कई सौ ने जान गंवाई थी
जान बचाने लोग वाग की, दीवारों पर चढ़ जाते थे
ताबड़तोड़ फायरिंग में,टप से नीचे गिर जाते थे
बड़ा ही था भीवत्स दृष्य,चीख पुकार मची थी
मृतक और घायलों के खून से, वाग की माटी सनी पड़ी थी
नहीं कोई था पानी देने बाला, उपचार की बात कहां थी
लाशों के संग जिंदा घायल, दर्द से कराह रहे थे
पड़े रहे रात भर घायल,लोग मदद को चीख रहे थे
जो बच सकते थे घायल,वे भी लाशों में बदल गए
अंग्रेजी शासन की क़ूरता, सभी हदों को पार कर गए
उस सामूहिक नरसंहार से, आक्रोश देश में आया था
जन जन आक्रोशित हुआ देश में, क़ांति नई लाया था
जलियांवाले हत्याकांड ने, आजादी की ज्वाला भड़काई थी
सारे देश आजादी की,नई चेतना आई थी
जलियांवाला बाग में जाकर,नम आंखें हो जाती हैं
दिखते हैं गोलियों के निशान, वीरों की याद दिलाते हैं
जय हिंद

1 Like · 1 Comment · 678 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from सुरेश कुमार चतुर्वेदी
View all
You may also like:
सर्वप्रथम पिया से रंग
सर्वप्रथम पिया से रंग
दीपक नील पदम् { Deepak Kumar Srivastava "Neel Padam" }
भोर का दृश्य
भोर का दृश्य
surenderpal vaidya
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
ঐটা সত্য
ঐটা সত্য
Otteri Selvakumar
अकेलापन
अकेलापन
Shashi Mahajan
पहला प्यार नहीं बदला...!!
पहला प्यार नहीं बदला...!!
Ravi Betulwala
"कुछ लोग"
Dr. Kishan tandon kranti
मंजिल
मंजिल
Dr. Pradeep Kumar Sharma
2887.*पूर्णिका*
2887.*पूर्णिका*
Dr.Khedu Bharti
सवाल यह है
सवाल यह है
gurudeenverma198
*
*"मजदूर"*
Shashi kala vyas
हो जाती है साँझ
हो जाती है साँझ
sushil sarna
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
जिंदगी में कभी उदास मत होना दोस्त, पतझड़ के बाद बारिश ज़रूर आत
Pushpraj devhare
स्त्री:-
स्त्री:-
Vivek Mishra
मैं तुम्हें भरोसा ना दे सका गुड़िया
मैं तुम्हें भरोसा ना दे सका गुड़िया
पूर्वार्थ
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
लगा जैसे उसकी आंखों में सारा समंदर समाया हो,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
है प्रीत बिना  जीवन  का मोल  कहाँ देखो,
है प्रीत बिना जीवन का मोल कहाँ देखो,
Abhishek Shrivastava "Shivaji"
प्रेरक गीत
प्रेरक गीत
Saraswati Bajpai
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
परमेश्वर दूत पैगम्बर💐🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
श्रद्धांजलि
श्रद्धांजलि
नेताम आर सी
आज का युवा कैसा हो?
आज का युवा कैसा हो?
Rachana
दशमेश के ग्यारह वचन
दशमेश के ग्यारह वचन
Satish Srijan
मन
मन
Neelam Sharma
विचार
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
आंखों में तिरी जाना...
आंखों में तिरी जाना...
अरशद रसूल बदायूंनी
डॉ अरूण कुमार शास्त्री,
डॉ अरूण कुमार शास्त्री,
DR ARUN KUMAR SHASTRI
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
*सूने पेड़ हुए पतझड़ से, उपवन खाली-खाली (गीत)*
Ravi Prakash
ज़िंदा   होना   ही  काफी  नहीं ,
ज़िंदा होना ही काफी नहीं ,
Dr fauzia Naseem shad
*मैं, तुम और हम*
*मैं, तुम और हम*
sudhir kumar
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
आलस्य एक ऐसी सर्द हवा जो व्यक्ति के जीवन को कुछ पल के लिए रा
Rj Anand Prajapati
Loading...