जला हर मोड़ पर
जला हर मोड़ पर (ग़ज़ल)
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मिली है जफ़ा हर मोड़ पर,
यही है गिला हर मोड़ पर।
खड़ी भीड़ वहाँ थी देखती,
चला सिलसिला हर मोड़ पर।
गया छोड़ अकेला ही मुझे,
सदा दिल जला हर मोड़ पर।
बचा बीच यहाँ मरते हुए,
हुआ हादसा हर मोड़ पर।
मिनी मात मनसीरत मिटा,
मिला सिरफिरा हर मोड़ पर।
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सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)