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21 Aug 2022 · 1 min read

जला रहा हूँ मैं

यूँ खयाली पुलाओ पका रहा हूँ मैं
उम्मीदों के अलाव जला रहा हूँ मैं ।
देके तकलीफ़ों को तसल्ली दिल से
बेवकूफ खुद को ही बना रहा हूँ मैं।
अब है आपकी मर्ज़ी माने न माने
हक़ीक़त से रुबरू करा रहा हूँ मैं।
देखना वक्त खुद बदल देगा उसे
वक्त से पहले ही बता रहा हूँ मैं।
अरे!मेरा क्या!आज हूँ कल नहीं
आंधियों में चराग जला रहा हूँ मैं ।
क्या समझता है तू अजय खुद को
बस यही बात तो समझा रहा हूँ मैं।
– अजय प्रसाद

Language: Hindi
1 Like · 149 Views
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