” जलाओ प्रीत दीपक “
जलाओ प्रीत दीपक,मिटे जो अंधेरा
घटे तम जो अंतस, है घेरा घनेरा
छंटे मैं का बादल,हो फिर से सबेरा
बुझे आग ईर्ष्या हो तेरा न मेरा
अमन हो चमन हो, ख़ुशी का बसेरा
अपनों से दूरी, न ग़म का हो फेरा
जलाओ प्रीत दीपक, मिटे जो अंधेरा
•••• कलमकार ••••
चुन्नू लाल गुप्ता – मऊ (उ.प्र.)