जलवे
किरदार को किरायेदार न समझो,
जहां में जहाँ भी रहते हैं.
खबर रखते है,
कदर इंसानियत की करते हहै,
खुद को श्रेष्ठ सिद्ध करने की होड में नहीं
.
मेरे अरमानों को यूं न विराम दे,
ये भाषा विचार है,
दिल कोई व्याकरण की भाषा नहीं.
पैदा कहीं और आक्रमण कहीं और करती है.
.
बिखेरते थे जो जल्वे
उनका दमन हुआ,
चाटते है जो आज तलवे
देखो देशभक्त हो गया.
.
लिखते थे जो,
तबीयत देश की,
माफी मांगते लोग,
आज वे ही
करते है नोकझोक
जिन्हें रिहाई के साथ
पेंशन चाहिए थी.