“जलन “
तीर बनकर रहना भी अच्छा,
चुभने वालों को बिना चलाए ही चुभ जाते हैं,
किसी की सफलता भी तीर बन सकती है,
शिकार जलने वाला होता है जाने अनजाने में,
यह बड़ी अजीब दास्तां है,
जलने और जलाने की,
ना तो जलने वाले को पता…….
ना जलाने वाले को!
तीर बनकर रहना भी अच्छा,
चुभने वालों को बिना चलाए ही चुभ जाते हैं,
किसी की सफलता भी तीर बन सकती है,
शिकार जलने वाला होता है जाने अनजाने में,
यह बड़ी अजीब दास्तां है,
जलने और जलाने की,
ना तो जलने वाले को पता…….
ना जलाने वाले को!