जलजला
टूटा दिल पर आवाज ना हुई।
कानों कान किसी को खबर ना हुई।
1चिंगारियां अनेकों उठी
पर किसी को भनक नहीं
क्या जला क्या रहा कोई कसर न रही।कानोंकान ……..
2 कवायदें हुईं बहुत
खूब खाल खींची गई
जल गया आशियाना
पर जुवां भींची न गई।
एक से बढ़कर एक
बुराई की गाँठ खोली गई
कानोंकान……….
3 निकाला गया इज्जत
का जनाजा यहां। बिछाए गए फूल नफरत के वहाँ।
बेहिसाब जली कटी बोली गईं।
कानोंकान……….
प्रवीणा त्रिवेदी प्रज्ञा
नई दिल्ली 74