जरूरी तो नहीं
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जरूरी तो नहीं
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प्रेम संबंधों की जड़ें लंबी हो
जरूरी नहीं ….
रिश्ते की उपजाऊ जमीं हो
यह भी नहीं आवश्यक ….
भावनाओं में सैलाब हो
जरूरी तो नहीं …..
चाहत शमा हो
परवाने सा फ़ना हो
कदापि ये भी जरूरी नहीं …….
एक खाली पन हो
एक अनमना सा मन हो
प्यास के हाथों में
एक खाली बर्तन हो
शायद यह भी नहीं जरूरी…….
बहुत जरूरी है
वह बीज
जो उगा देता है
पीपल का बिरुआ…………
कहीं भी – कभी भी
पल्लवित कर देता है
हरियाली का साकार
उग जाता है यूं ही
कहीं भी कभी भी
प्रेम – सरोकार
– अवधेश सिंह