जरूरत
—जरूरत——-
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सर्दी में अग्नि की
साग में मखनी की
जीवन में संगिनी की
कर्म में करनी की
बहुत ही जरूरत है
प्यासे को नीर की
पंडित को खीर की
धनुर्धर को तीर की
मटर में पनीर की
बहुत ही जरूरत है
रिश्तों में जीजा की
खाने में पीजा की
मुस्लिम मे तीजा की
विदेश मे वीजा की
बहुत ही जरूरत है
मांग में सिंदूर की
ढाबे पर तंदूर की
सुगंध में कपूर की
देवलोक में हूर की
बहुत ही जरूरत है
सर्कस में जोकर की
दुकान में नौकर की
गाँव में पोखर की
जिंदगी में ठोकर की
बहुत ही जरूरत है
पत्नी को शौहर की
दफ्तर में मोहर की
गगन में तमोहर की
कुल को धरोहर की
बहुत ही जरूरत है
मूल में ब्याज की
सब्जी में प्याज की
शादी में रिवाज की
उड़ान में जहाज की
बहुत ही जरूरत है
ठण्ड में रजाई की
वध में कसाई की
रिश्ते में भौजाई की
बाजार में नाई की
सुखविंद्र हरजाई की
बहुत ही जरूरत है
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)
9896872258