जरुरी नही हर बात कहें,कुछ दर्द छुपे ही रहने दो…
जरुरी नही हर बात कहें
कुछ दर्द छुपे ही रहने दो
लबो को न दो तकलीफ मेरे
कुछ ख़ामोशी को कहने दो
जरुरी नही हर बात कहें
कुछ दर्द छुपे ही रहने दो ।
सोये राहगीर जमीनों पे
इनको कोई बिछौने दो
जागी है ये भी संग मेरे,
इन रातो को भी सोने दो
जरुरी नही हर बात कहें
कुछ दर्द छुपे ही रहने दो ।
गम के रेगिस्तान में थोड़ी,
खुशियों को भी बहने दो
लगातार चली,थकी होगी
जरा हवा को साँस लेने दो
जरुरी नही हर बात कहें
कुछ दर्द छुपे ही रहने दो ।
माहौल नया सा लगता है
दुनिया को इसमें ढलने दो
खोलो पिंजरे सभी परिंदों के
सबको आजाद रहने दो ।
जरुरी नही हर बात कहें
कुछ दर्द छुपे ही रहने दो ।
कपिल जैन