जरुरी नही मेरी हर बात को मान लिया जाए।
ग़ज़ल
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जरुरी नही मेरी हर बात को मान लिया जाए,
जहाँ जरुरत बोलने की,वहाँ बोल दिया जाए।
मैं बादशाह तो नही हूं चढ़ा दुंगा सूली पे तुम्हें,
बात कहने को हर बार क्यूं जाम ही पिया जाए
क्यूं रखा जाऐ दिल मे दबा के हर बात अपनी,
ये अच्छा नही बे’वजह लब अपने सिया जाए।
तुम इधर -उधर की जो किऐ जा रहे हो! सुनो,
यूंही वक्त जाया करते हो तो,क्या किया जाए।
तुम जो करते हो करो, है ये अधिकार तुम्हारा,
जीना है तो यार क्यूं न बिंदास ही जिया जाए।
मैं बेबाक बदनाम सा शायर “जैदि” कहता हूं,
गलत है मशवरा तो मेरा छोड़ साथ दिया जाए।
शायर :-“जैदि”
एल.सी.जैदिया “जैदि”