जरा संभल के चलो
जरा संभल के चलो
ये जिंदगी हैं ,साहेब
जरा संभल के चलो
ये सच हैं कि पैसे लेकर
नहीं जाना है , ऊपर
ओर ये भी हकीकत है कि
पैसे के बिना हम जी नहीं पाएंगे
दर दर की ठोकरें खाएंगे।।
इसलिए जरा संभाल के चलो ।
खर्च भी उतने ही करो ।
जितनी जरूरत है ।
बचत भी उतने ही करो
जितनी जरूरत है ।
ये जिंदगी हैं यारों
जरा संभल के चलो।।
अगर कम खर्च करते हो
तो वर्तमान में दिक्कत हो
जाता है।
और अधिक खर्च करते हो
तो भविष्य में दिक्कत हो जाता है।
इसलिए सामंजस्य बैठा कर चलो
ये सोच कर चलो कि
किसी के आगे हाथ ना फैलाना पड़े ओर दर दर की ठोकरें ना खानी पड़े, ओर अपनी जिम्मेदारी
खुद उठानी पड़े।
दीपाली कालरा