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23 Jul 2019 · 1 min read

जरा भी दर्द तेरा गर तमाम करती हूँ

जरा भी दर्द तेरा गर तमाम करती हूँ
जहान भर की खुशी अपने नाम करती हूँ

मेरा वजूद ही तू है यही हकीकत है
तेरे लिये ही दुआ सुबह शाम करती हूँ

चलूँगी अब तो मै परछाई तेरी बनकर ही
मैं अपनी ज़िन्दगी ही तेरे नाम करती हूँ

ये तेरा इश्क इबादत से भी कहीं बढ़कर
जुनून को तेरे दिल से सलाम करती हूँ

तेरी शिकायतों का दौर जब नहीं थमता
मैं मुस्कुरा के लगाया विराम करती हूँ

मुहर मैं प्यार की अपने लगाती हूँ इस पर
तेरा ये दिल ही मैं अपना क़याम करती हूँ

बनाया यादों ने यूँ ‘अर्चना’ शराबी है
भरा मैं अपने ही अश्कों से जाम करती हूँ

17-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद

3 Likes · 1 Comment · 399 Views
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