जरा भी दर्द तेरा गर तमाम करती हूँ
जरा भी दर्द तेरा गर तमाम करती हूँ
जहान भर की खुशी अपने नाम करती हूँ
मेरा वजूद ही तू है यही हकीकत है
तेरे लिये ही दुआ सुबह शाम करती हूँ
चलूँगी अब तो मै परछाई तेरी बनकर ही
मैं अपनी ज़िन्दगी ही तेरे नाम करती हूँ
ये तेरा इश्क इबादत से भी कहीं बढ़कर
जुनून को तेरे दिल से सलाम करती हूँ
तेरी शिकायतों का दौर जब नहीं थमता
मैं मुस्कुरा के लगाया विराम करती हूँ
मुहर मैं प्यार की अपने लगाती हूँ इस पर
तेरा ये दिल ही मैं अपना क़याम करती हूँ
बनाया यादों ने यूँ ‘अर्चना’ शराबी है
भरा मैं अपने ही अश्कों से जाम करती हूँ
17-07-2019
डॉ अर्चना गुप्ता
मुरादाबाद