जरा अदब से मुझसे मिला करो।
तेरी मुफलिसी का जबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
मैं बीती रात का ख्वाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
तेरे लम्स जिसको उम्र भर तरसा किये इस दहर में।
मैं वही फसले शबाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
फ़िरक़ों में सबको बांट कर करते अमन की बात तुम।
मैं मज़हबी दोआब हूं जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
तुम ख़ार थे तुम ख़ार हो तुम ख़ार ही रह जाओगे।
फीका हूँ पर गुलाब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
कुछ बर्बरों को देखकर तुम मत मुझे बयां करो।
मैं इक हसीं मेहराब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
जो गोद में लेकर तुझे दुलरायें नींदों ख़्वाब दे।
मैं इक वहीं महताब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
” नज़र ” जिसकी खोज में तेरी नज़र बेताब थी।
मैं ही वही किताब हूँ जरा अदब से मुझसे मिला करो।
*****
कुमारकलहँस, 13,05,2022, बोइसर, पालघर।