जर,जोरू और जमीन
वर्तमान राजनीतिक परिवेश में ग्रामीणों की उपेक्षा नहीं की जा सकती है। ग्राम और ग्रामीण राजनीतिक संस्कारों के संरक्षक ,पालक- पोषक हैं। धरती से जुड़ा हुआ राजनेता ही सबसे सफल माना जाता है ।जब वह ग्रामीण क्षेत्रों में लोकप्रिय हो जाता है तब हृदय सम्राट विशेषण से विभूषित किया जाता है। ग्रामीणों में राजनीतिक द्वंद ,विचारों का मतभेद जमीन जायदाद के लिए द्वंद ,अक्सर हुआ करता है ।राजनीति का जन्म , आश्रय एवं प्रश्रय यहीं होता है। जर, जमीन ,जोरू राजनीति के गुरु मंत्र है। ग्रामीणों की समस्त समस्या इन्हीं तीनों से संबंधित होती है
शंकरगढ़ ग्राम एक पहाड़ी क्षेत्र है। यह प्रयाग राज जनपद में स्थित है।
यहां विकास की धारा बह रही है, किंतु यहां की राजनीति और राजनेता, भूमि से जुड़े हुए हैं।
ग्राम में मंगरु और झगड़ू दो प्रतिष्ठित परिवार निवास करते हैं ।ग्राम की आबादी एक सहस्त्र के लगभग है। इन दोनों परिवारों में खानदानी रंजिश है। दोनों परिवार एक दूसरे को फूटी आंख नहीं सुहाते। ये परिवार एक दूसरे की टांग खींचने में लगे रहते हैं। इन परिवारों में कभी सहमति नहीं हो सकी। कई बार राजनीतिक मंच पर इनके सुलह का प्रयास किया गया, किंतु, वह असफल रहा ।इन परिवारों को ठाकुर और कुर्मी समुदाय का अच्छा खासा समर्थन है। ये परिवार लड़ाई -झगड़े का बहाना ढूंढते रहते हैं। जिससे कि वे क्षेत्र में अपना दबदबा कायम कर सकें ।
मंगरु जिसके पास चौबीस बीघा जमीन है और झगड़ू जिसके पास बीस बीघा जमीन है । दोनों परिवार संपन्न हैं।वे एक दिन आपस में झगड़ पड़े। विवाद पानी निकालने हेतु नाली बनाने से संबंधित है। इन दोनों परिवारों मेंआपस में खूब गाली- गलौज और मारपीट हुई। महिलाएं भी मारपीट में भागीदार हैं।
“गाली -गलौच करना सभ्यता का मानक नहीं है।किन्तु जब व्यक्ति स्वयं मर्यादा की लक्ष्मण रेखा पार करता है, तब, गाली का प्रादुर्भाव होता है।
और अंत वैमनस्य और हिंसा से होता है।”
आखिर दोनों परिवारों के चुट हिल व्यक्ति अपनी -अपनी सिफारिश लेकर पुलिस चौकी पहुंचे। ग्राम का प्रधान चौबे मंगरू के पक्ष में है।
प्रधान जी ने कहा -दरोगा जी,हमरे गांव में ई मंगरू और विपक्षी पार्टी में मारपीट भइ अहै। ई सब बहुतै अनर्थ किये हैं। विपक्षी पार्टी पर कड़ी धारा लागू किया जाय,जौने गांव मा कछु शान्ति व्यवस्था कायम हुई सके।
जी,प्रधान जी!-चौकी इंचार्ज ने कहा।
चौकी इंचार्ज ने आगे कहा-
प्रधान जी, शान्ति व्यवस्था का उत्तर दायित्व पुलिस प्रशासन का है।किंतु, जब कोई कानून को अपने हाथ में लेने की कोशिश करता है तो कानून उनके विरूद्ध कार्यवाही करता है।
मंगरू ने झगड़ू के विरुद्ध कानूनी कार्यवाही की मांग करते हुए सर्वप्रथम प्राथमिकी दर्ज कराया।
“ग्रामीण अपने छद्म मान सम्मान की आड़ में जान पर खेल जाते हैं। कानूनी कार्यवाही उनके जीवन का अपरिहार्य अंग है।खेत खलिहान गिरवी रख कर या बेचकर वे कानूनी दांव -पेंच में उलझे रहते हैं।
संकुचित राजनीति , जातिवाद और क्षेत्रियता का जन्म यहीं होता है।”
मंगरू ने चुटहिलों का मुआयना करवाकर गम्भीर धाराएं दर्ज करा दी है।
झगड़ू अब परेशान है,चौकी इंचार्ज उसकी प्राथमिकी दर्ज करने में आनाकानी कर रहे हैं।
यह उसका आरोप है कि,
मंगरू ने उनकी जेब गर्म कर मनमानी धारायें दर्ज करवा ली हैं।
उसका कहना है – गांव का प्रधान और चौकी इंचार्ज मिल गये हैं।अतः उसे न्याय नहीं मिल सकता।अब केवल कचहरी न्याय दिलवा सकती है। मंगरू को कोर्ट में घसीटा जा सकता है। झगड़ू भी धन संपत्ति से मजबूत है।
चिकित्सालय में भी उसकी सुनवाई करने वाला कोई नहीं है। चिकित्सालय में चिकित्सक ने एक्स रे फिल्म बनाकर संबंधित पुलिस वाले को दी है । रिपोर्ट सिपाही ने चौकी में लगा दी है।
झगड़ू का आरोप है कि,
चिकित्सक ने विरोधी पक्ष से धन लेकर रिपोर्ट बदल दी है। वह असंतुष्ट है ।अब वह प्राइवेट x-ray करा कर संतुष्ट होना चाहता है ।प्राइवेट एक्स-रे में उसके हाथ में फ्रैक्चर है। हाथ की हड्डी टूटी है ,दर्द भी बहुत अधिक है। किंतु चिकित्सक ने रिपोर्ट साधारण बनाकर ,पीड़ा की दवा देकर उसे रुखसत कर दिया है। अब वह क्या करें?
वह जाये तो जाये कहां ?कहां गुहार लगाये?
न्याय के लिए उसने माननीय विधायक का दरवाजा खटखटाया है।
माननीय विधायक बहुत संवेदनशील लोकप्रिय एवं अच्छी छवि के लिए जाने जाते हैं।
माननीय विधायक जी ने संबंधित चिकित्सालय के चिकित्सा अधीक्षक को तलब किया है । झगड़ू एवं उसकी पत्नी को भी बुलाया है ।दोनों उपस्थित होते हैं।
विधायक जी ने झगड़ू का आमना -सामना चिकित्सा अधीक्षक से कराया व प्रश्न किया –
अधीक्षक साहब- इस प्रकरण में
संबंधित चिकित्सक के खिलाफ क्या कार्रवाई की जा सकती है।
अधीक्षक महोदय ,साफ छवि के अधिकारी हैं।अपने चिकित्सालय की साफ छवि व कुशल प्रशासन हेतु उन्होंने दिन- रात एक कर दिया है।
अपने चिकित्सक की इस नाइंसाफी पर उन्हें बहुत क्रोध आता है। जिस चिकित्सालय की अच्छी शाख हेतु उन्होंने अकूत प्रयास किये हैं। उसी चिकित्सालय का चिकित्सक उनके चिकित्सालय की शाख धूमिल कर रहा है।
अतः उन्होंने माननीय विधायक जी को आश्वस्त किया कि जाँच समिति बनाकर संबंधित प्रकरण की जांच की जाएगी, एवं, पीड़ित परिवार को न्याय दिलाया जायेगा।
पीड़ित परिवार सुरक्षा की गुहार करता है, जिसे विधायक जी के द्वारा आश्वासन देकर पूरा किया जाता है। झगड़ू का परिवार आश्वासन पाकर घर वापस चला जाता है ।
माननीय विधायक जी चिकित्सा अधीक्षक से कार्रवाई का आश्वासन पाकर संतुष्ट होते हैं।
चिकित्सा अधीक्षक विधायक जी से अनुमति लेकर प्रस्थान करते हैं।
कहते हैं, “जहां पर धुआं होता है वहीं पर आग होती है। ”
संबंधित चिकित्सक की शिकायत प्राप्त हो रही थी, किंतु कोई सबूत ना होने के कारण कार्यवाही विलंबित थी। आज सबूतों के साथ चिकित्सक पर कार्रवाई करने का प्रकरण सामने आया है ।अतः कार्यवाही अवश्यंभावी है।
चिकित्सा अधीक्षक के अधिकारी की गाड़ी खेत और खलिहान से होती हुई चिकित्सालय पहुँचती है।
यह चिकित्सालय ठेठ ग्रामीण परिवेश में बसा हुआ है। और, जहां दूर-दूर तक आबादी नहीं के बराबर है।
रेडियोलॉजिस्ट का निरंकुश होना अत्यंत आश्चर्य जनक है।जब कि, चौकी और प्रशासनिक कार्यालय ,कचहरी सब आस- पास हों।
जाँच समिति की जाँच में रेडियोलोजिस्ट ने बताया कि भूल-वश
एक्स रे प्लेट बदल गयी है।यह मानवीय भूल है, कार्य की अधिकता कारण यह त्रुटि हुई है।
जाँच समिति ने रेडियोलोजिस्ट को चेतावनी जारी करते हुए, उल्लेख किया कि, यदि भविष्य मेंं इस प्रकार के कार्यों की पुनरावृत्ति होती है, तो प्रतिकूल प्रविष्टि चरित्र पंजिका मे दर्ज की जाय।
झगड़ू का दुबारा मुआयना किया जाता है ।और ,उसकी प्रत्येक चोट दर्ज की जाती है।इसी आधार पर प्राथमिकी में धाराओं में बढोत्तरी की जाती है। मुकदमा कायम होता है।राजनीति शनैः शनैः विश्राम करती है।
ये आरोप- प्रत्यारोप, अखबारी जंग, न्याय-अन्याय की प्रक्रिया प्रजातंत्र में तब-तक जारी रहेगी ,जब- तक जर,जोरू, और जमीन के मुद्दे कायम रहेंगे। ये राजनीतिक मुद्दे रामराज्य से लेकर महाभारत काल में भी प्रचलित रहे और, आज भी शाश्वत रहेगें।
डा.प्रवीण कुमार श्रीवास्तव, प्रेम