ये बादल क्युं भटक रहे हैं
चांदनी रात में बरसाने का नजारा हो,
Anamika Tiwari 'annpurna '
औरत की दिलकश सी अदा होती है,
चले ससुराल पँहुचे हवालात
नंदलाल मणि त्रिपाठी पीताम्बर
मेरी अवनति में मेरे अपनो का पूर्ण योगदान मेरी उन्नति में उनका योगदान शून्य है -
पहचान लेता हूँ उन्हें पोशीदा हिज़ाब में
विचार
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
वैसे तो होगा नहीं ऐसा कभी
कर मुसाफिर सफर तू अपने जिंदगी का,
स्त्री नख से शिख तक सुंदर होती है ,पुरुष नहीं .
सावरकर ने लिखा 1857 की क्रान्ति का इतिहास
विनम्र भाव सभी के लिए मन में सदैव हो,पर घनिष्ठता सीमित व्यक्
सांसें थम सी गई है, जब से तु म हो ।