Sahityapedia
Sign in
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
10 Oct 2024 · 1 min read

#जय_माता_दी

#जय_माता_दी
◆ मंगलमय दुर्गाष्टम्मी।।
【प्रणय प्रभात】
“सर्वमंगल मांगल्ये शिवे सर्वार्थ साधिके।
शरण्ये त्रयम्बके गौरी नारायणी नमोस्तुते।।
जयंती, मंगला, काली, भद्रकाली, कपालिनी।
दुर्गा, क्षमा, शिवा, धात्री, स्वाहा, स्वधा नमोस्तुते।।”
शारदीय नवरात्र महापर्व के प्रमुख सौपान श्री दुर्गाष्टम्मी के पुनीत-पावन पर्व पर आप सभी के लिए अनंत-असीम मंगलकामनाएं। परम् करुणामयी, कल्याणी मां भगवती आप सभी पर सदैव कृपावान रहें।
💐💐💐💐💐💐💐💐💐
-सम्पादक-
●न्यूज़&व्यूज़●
(मध्य-प्रदेश)

1 Like · 64 Views

You may also like these posts

वक़्त गुज़रे तो
वक़्त गुज़रे तो
Dr fauzia Naseem shad
सुबह हर दिन ही आता है,
सुबह हर दिन ही आता है,
DrLakshman Jha Parimal
सुन लिया करो दिल की आवाज को,
सुन लिया करो दिल की आवाज को,
Manisha Wandhare
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
रातों में नींद तो दिन में सपने देखे,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
सदा दूर रहो गम की परछाइयों से,
Ranjeet kumar patre
मांँ ...….....एक सच है
मांँ ...….....एक सच है
Neeraj Agarwal
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
कुछ और
कुछ और
Ragini Kumari
आवाह्न स्व की!!
आवाह्न स्व की!!
उमा झा
टूटता तारा
टूटता तारा
C S Santoshi
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
*कभी मिटा नहीं पाओगे गाँधी के सम्मान को*
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
"धूप-छाँव" ग़ज़ल
Dr. Asha Kumar Rastogi M.D.(Medicine),DTCD
म
*प्रणय*
शीर्षक – जीवन पथ
शीर्षक – जीवन पथ
Manju sagar
रे मन! यह संसार बेगाना
रे मन! यह संसार बेगाना
अंजनी कुमार शर्मा 'अंकित'
3865.💐 *पूर्णिका* 💐
3865.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
कविता
कविता
Shweta Soni
मोबाइल पर बच्चों की निर्भरता:दोषी कौन
मोबाइल पर बच्चों की निर्भरता:दोषी कौन
Sudhir srivastava
"रियायत"
Dr. Kishan tandon kranti
सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए
सफ़र ज़िंदगी का आसान कीजिए
सुशील मिश्रा ' क्षितिज राज '
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
हम जैसे है वैसे ही हमें स्वयं को स्वीकार करना होगा, भागना नह
Ravikesh Jha
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
वो बस सपने दिखाए जा रहे हैं।
सत्य कुमार प्रेमी
प्रिये ! अबकी बार तुम्हारे संग, दीपावली मनाना चाहता हूँ....!
प्रिये ! अबकी बार तुम्हारे संग, दीपावली मनाना चाहता हूँ....!
singh kunwar sarvendra vikram
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
ग़ज़ल (बड़ा है खिलाड़ी ,खिलाता है तू ..................).....................
डॉक्टर रागिनी
" हैं पलाश इठलाये "
भगवती प्रसाद व्यास " नीरद "
जो जीते जी इंसान की कद्र नहीं करता।
जो जीते जी इंसान की कद्र नहीं करता।
Rj Anand Prajapati
वो कपटी कहलाते हैं !!
वो कपटी कहलाते हैं !!
Ramswaroop Dinkar
मां की रोटी
मां की रोटी
R D Jangra
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
किसी एक के पीछे भागना यूं मुनासिब नहीं
Dushyant Kumar Patel
रिश्तों की रवानी
रिश्तों की रवानी
पूर्वार्थ
Loading...