जय हिंद
मैं गूंगा हूँ मगर लिखकर तुझे बतला रहा हूँ मैं
बचा लो वतन की इज्जत यही दिखला रहा हूँ मैं
ये भारत ही तुझे अब तक सुखनवर बन संभाला है
बचा लो इसकी इज्ज़त अब यही समझा रहा हूँ मैं
अभिषेक पान्डेय उज्ज्वल
मैं गूंगा हूँ मगर लिखकर तुझे बतला रहा हूँ मैं
बचा लो वतन की इज्जत यही दिखला रहा हूँ मैं
ये भारत ही तुझे अब तक सुखनवर बन संभाला है
बचा लो इसकी इज्ज़त अब यही समझा रहा हूँ मैं
अभिषेक पान्डेय उज्ज्वल