जनवासा अब है कहाँ,अब है कहाँ बरात (कुंडलिया)
हम मोहब्बत में सिफारिश हर बार नहीं करते,
जीवन का हर पल बेहतर होता है।
आँखों-आँखों में हुये, सब गुनाह मंजूर।
मंदिर की नींव रखी, मुखिया अयोध्या धाम।
नये सफर में गये हो जब से बड़ी शराफत दिखा रहे हो।
रामनाथ साहू 'ननकी' (छ.ग.)
अपने हुस्न पर इतना गुरूर ठीक नहीं है,
बेटी
पूनम 'समर्थ' (आगाज ए दिल)
माँ की कहानी बेटी की ज़ुबानी
ज़िन्दगी थोड़ी भी है और ज्यादा भी ,,
*लोकमैथिली_हाइकु*
Dinesh Yadav (दिनेश यादव)