ज्ञान तो बहुत लिखा है किताबों में
आज के समाज का यही दस्तूर है,
देव उठनी
विनोद कृष्ण सक्सेना, पटवारी
मैं टीम इंडिया - क्यों एक अभिशापित कर्ण हूँ मैं!
श्रीकृष्ण की व्यथा....!!!!
ज़ेहन हमारा तो आज भी लहूलुहान है
प्रस्तुत है आपकी सेवा में चित्र पर आधारित यह :-गजल
Aasukavi-K.P.S. Chouhan"guru"Aarju"Sabras Kavi
सबने सलाह दी यही मुॅंह बंद रखो तुम।
दिल को सिर्फ तेरी याद ही , क्यों आती है हरदम
जिंदगी रो आफळकुटौ
जितेन्द्र गहलोत धुम्बड़िया
इंद्रदेव समझेंगे जन जन की लाचारी
If he could do it, so can you.
*बुखार ही तो है (हास्य व्यंग्य)*
क्या मंद मंद मुस्कराते हो