*जय हिंदी* ⭐⭐⭐
(हिंदी दिवस पर विशेष)
जय हिंदी
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जो भी करे, निज मात-पिता से प्यार;
वह हिंदी पर , कभी भी ना करे प्रहार;
हिंदी ही सदा , राष्ट्र में एकता लाएगी;
हमारी हर संस्कृति को, यही बचाएगी।
जो जनता न अपनाये हिंदी भाषा को;
झलकाये मन, उसकी गंदी आशा को;
यही तो अब , भाषाई अभिभावक है;
जैसे धरम-करम हेतु , कोई पावक है।
तरनी गंगा हो, या हो सरिता कालिंदी;
हर पावनी धारा में बसे सदा ही, हिंदी;
अपगा कावेरी से, लहरी सतलज तक;
हिंदी ही दिखे अब , हर पग-पग तक।
गिरि नीलगिरी से अचल हिमालय तक,
अपनी हिंदी ही बसे , हर आलय तक;
यह है , जन- जन की अपनी ही भाषा;
राष्ट्रभाषा हेतु नियम का मोहताज नहीं;
अखंड भारत का भी था , सरताज यही;
देश क्या, विदेशों की भी ये भाषा होगी;
भले देशद्रोहियों को,इससे निराशा होगी;
जो यह हिंदी ना होगी, जन-गण-मन में;
दिखेगा हिंदुस्तान कहां,किसी अंतर्मन में;
हर घर बसेगा तब,तालिबान यहां क्षण में;
इसने ही बचा रखा है, इस पूरे भारत को;
आगे भी यही, देश और संसार बचायेगा;
वो देशी नर नहीं,जो ‘जय हिंदी’ न गाएगा।
“जय हिंद”………………………”जय हिंदी”
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स्वरचित सह मौलिक:-
……..✍️ पंकज ‘कर्ण’
…………….कटिहार।।