जय श्री राम !
!! श्रीं!!
जय सियाराम !
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मिलेंगे आपके दर्शन जिन्हें वे भाग्यशाली हैं ,
हमारे बाग के तो आप ही हे नाथ ! माली हैं ,
बसे हनुमंत के उर ज्यों हमारे भी बसो भगवन,
करें प्रभु कामना पूरी खड़े द्वारे सवाली हैं ।
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राधे…राधे…!
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महेश जैन ‘ज्योति’,
मथुरा !
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