जय माता दी!
अनुराधा घनाक्षरी
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सदा विभूतिकारिणी,
कपाल माल धारिणी,
प्रचण्ड रूप धारिणी,
मात तूँ महान है।
जया सदा रणे बनी,
निशुम्भ मर्दिनी ठनी,
हुता बनी सुहासिनी,
जानता जहान है।
दरिद्र दुःख हारिणी,
हिया प्रसन्न कारिणी,
अनन्त नाम धारिणी,
होरहा बखान है।
उमा रमा कुमारि तूँ,
करालि कैटभारि तूँ,
विशिष्ट सृष्टिकारि तूँ,
देरही निदान है।
**माया शर्मा,पंचदेवरी,गोपालगंज(बिहार)**