जय माता दी
तुम ही दुर्गा,तुम ही गौरी,
तुम हो माँ कात्यायनी,
तुम ही भाव्या,तुम ही भव्या,
तुम हो मात भवानी।।
सरल ह्रदय है तेरा माता
जग की तुम हो भाग्यविधाता,
सन्ताप मिटाती भक्तों के,
माँ तुम हो दुख निवारिणी।
जो भी तेरे द्वारे आता,
प्रेम सुधा रस पाता,
भरती झोली माँ खुशियों से,
तुम ही हो विमिलौत्त्कार्शिनी।।
तुम ही दुर्गा,तुम ही गौरी,
तुम हो माँ कात्यायनी,
तुम ही भाव्या,तुम ही भव्या,
तुम हो मात भवानी।।
आतंक बढ़ा दैत्यों का जब,
देवताओं ने तुम्हें पुकारा,
धरा रूप काली का तब,
तुम बनी निशुम्भशुम्भहननी।
मधु कैटभ को तुमने मारा,
रक्तबीज को भी संहारा,
चण्डमुण्ड का वध किया,
तुम ही महिषासुरमर्दिनि।।
तुम ही दुर्गा,तुम ही गौरी,
तुम हो माँ कात्यायनी,
तुम ही भाव्या,तुम ही भव्या,
तुम हो मात भवानी।।
By:Dr Swati Gupta