जय माता दी ।
माता रानी आ गयीं,गली-गली में धूम
पूज रहे माँ के चरण,निर्धन,राजा,सूम।
सदा विराजित केसरी,माँ की शक्ति अनन्त
दुर्जन को देतीं सजा,अभय भक्तगण ,संत।
तुम दात्री सर्वज्ञ हो,किस पथ से अनजान
कभी नहीं भटकें कुपथ, हम तेरी संतान।
पग-पग दानव-दल खड़े,माँ क्या यही सुराज
दूर करे दुख -दीनता, उसके सर रख ताज।
भक्त जुड़े हैं आप से, भक्तों से माँ आप
माता – सुत ऐसे जुड़े, जैसे पावक-ताप।
a m prahari