जय माँ शारदे …….. ————————- कलम तू ऐसे चल कि शब्दों की मर्यादा बनी रहे।
जय माँ शारदे ……..
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कलम तू ऐसे चल कि शब्दों की मर्यादा बनी रहे।
रचे जब कोई रचना तो रचनाओं की मर्यादा बनी रहे।
ओ सरस्वती के शिष्य,रची तेरी रचना पढ़े जब कोई
माता के भक्त,तो माँ शारदे की मर्यादा बनी रहे।
@पूनम झा।कोटा,राजस्थान।