जय माँ अम्बे
जय माँ अम्बे
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ये मेरा भाग्य है मैया
जो मैं तेरे दर पे आई
मैं तर गई मैया
जो तुने हृदय लगाई
ये तन ,मन तुम्हारा
ये जीवन भी तुम्हारा
जो कुछ भी पास मेरा
सब कर्ज है तुम्हारा
खाली है हाथ मेरा
झोली मेरी है खाली
तुझे क्या करूँ मैं अर्पण
मैं कुछ समझ ना पाई
कुछ भी नहीं है मेरा
मै पुत्री हूँ तुम्हारा
तेरा ही रूप मेरा
गुण धर्म सब तुम्हारा
ये मेरा भाग्य है मैया
जो मै तेरे दर पे आई।
मैं तर गई मैया
जो तुने हृदय लगाई।
????—लक्ष्मी सिंह