जय जय हिन्दी
मैं मातृभाषा हूँ भारत की,पहचान हिंदुस्तान की।
मुझको बोलो तुम राष्ट्रभाषा, और शान हिंदुस्तान की।।
समझो मुझको भारत की आन,भारत का मुकुट है हिन्दी।
बोलो मिलकर तुम एक साथ यह,जय जय हिन्दी, जय जय हिन्दी।।
मैं मातृभाषा हूँ भारत की—————–।।
समझो नहीं मुझको बेगानी,मानो मुझसे अपना रिश्ता।
मेरे बिना तुम्हारी हस्ती नहीं, पढ़ लो तुम मेरी दास्तां।।
सीने से लगाओ यह कहकर, जान हिंदुस्तान की हिन्दी।
बोलो मिलकर तुम एक साथ यह,जय जय हिन्दी, जय जय हिन्दी।।
मैं मातृभाषा हूँ भारत की——————।।
जाति-धर्मों में भेदभाव, और झगड़े कभी मैं करती नहीं।
तुम सभी में मेरा खून है, नफरत किसी से करती नहीं।।
तुम करो देश में यह प्रचार, भारत की जननी है हिन्दी।
बोलो मिलकर तुम एक साथ यह, जय जय हिन्दी, जय जय हिन्दी।।
मैं मातृभाषा हूँ भारत की——————–।।
भारत मेरी है जन्मभूमि, बसती हूँ इसकी संस्कृति में।
इतिहास मैं हूँ इस भारत का, ममता है मेरी प्रकृति में।।
भारत का गौरव बोलो मुझे,स्वाभिमान भारत का हिन्दी।
बोलो मिलकर तुम एक साथ यह,जय जय हिन्दी, जय जय हिन्दी।।
मैं मातृभाषा हूँ भारत की—————–।।
शिक्षक एवं साहित्यकार-
गुरुदीन वर्मा उर्फ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)