जय जय राजस्थान
वो आन यहाँ वो शान यहाँ, मेवाड़ी राजपूताने की,
शत्रु भी रण में कांप गए, ये मिट्टी हैं बलिदानों की।
यहां राणा सांगा वीर हुए, धरती पर गौरव गान बना,
प्रण बलिदानों के कारण, स्वर्णिम ये राजस्थान बना।
1. कर्तव्य निभा कर हाड़ी रानी, शीश थाल में सजा दिया,
पन्ना-सी स्वामीभक्त यहाँ, निज बेटे को बलिदान किया।
नारी ने जौहर को जन्म दिया, मीरा भक्ति अभिमान बना,
प्रण बलिदानों के कारण, स्वर्णिम ये राजस्थान बना।।
2. सर कटने पर भी युद्ध करें, गोरा की अमर जवानी है,
इतिहास रखेगा याद सदा, तेरी तू अमिट निशानी है।
हे बादल तेरे रक्त रंग से, माटी का परिधान बना,
प्रण बलिदानों के कारण, स्वर्णिम ये राजस्थान बना।।
3. सर झुका नही पथ रुका नही, अपना कर्तव्य निभाने को,
अकबर भी थककर हार गया, राणा का शीश झुकाने को।
चेतक का वायु वेग जहाँ, सर्वस्व लुटाकर दान बना,
प्रण बलिदानों के कारण, स्वर्णिम ये राजस्थान बना।।
रवि यादव, कवि
कोटा, राजस्थान
9571796024