जय-जय राजस्थान
जय – जय राजस्थान
आओं बच्चों तुम्हें दिखायें,माटी राजस्थान की।
जिस माटी में हुए है पैदा,इला रेगिस्तान की।
जय-जय राजस्थान।।
आओं बच्चों तुम्हें दिखायें,करतब राजस्थान के।
मेवाड़ी धरती पर जन्में,महाराणा महान थे।
सांगा कीका की ये भूमि है,नामी हिन्दुस्तान में।
वीर भूमि है कहते इसको सारे ही जहाँन में।
जय-जय राजस्थान।
आओं बच्चों तुम्हें दिखाये,क्षत्राणी राजस्थान की।
पुत्र बलि दी राणा खातिर,वो जननी पन्नाधाय थी।
हाड़ी रानी सहल कँवर थी ,सिर काट दिया था शान से।
मीराँ थी इस धरा का गुलशन,मुख मोड़ा अपनी ही पहचान से।
जय-जय राजस्थान।
आओं बच्चों तुम्हें दिखाये,कला राजस्थान की।
कला में बैठी ‘बणी-ठणी’ है,शैली राजस्थान की।
विजय स्तम्भ है बना अनूठा,कुंभा कघ पहचान है।
जैसाणे में बनी हवेली,रेगिस्तान की शान हैं।
जय-जय राजस्थान।
आओं बच्चों तुम्हें दिखाये,संस्कृति राजस्थान की।
रंग – बिरंगे मेले सजते,रूणेचा दरबार में।
पूजे जाते देव यहाँ है,सबके ही घर-बार में।
रंगीला राजस्थान प्रसिद्ध है,सारे ही जहाँन में।
जय-जय राजस्थान।
मौलिक व स्वरचित
ज्ञानीचोर
9001321438