जय-जय भारत!
जय-जय भारत!
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हिंद ही अपना वतन है
हिंद अपनी शान है
हिंद ही सर्वत्र विजयी
हिंद ही अभिमान है।
झूमता अपना तिरंगा
देश का हर जन तिरंगा
तन तिरंगा,मन तिरंगा
गुनगुनाए यह तिरंगा।
हर शिखर पर आरूढ़ है
यह स्नेह है,आश्रय भी है
प्रेम का प्रतिरूप है यह
अरि का भयंकर काल भी है।
हमारे गीत पर झूमे तिरंगा
जीत पर झूमे तिरंगा
नित शिखर पर गीत गाए
शान से प्यारा तिरंगा।
भारत भरत का आज भी है
वीरता जन-जन भरी है
जो भी विरोधी सर उठाए
कुचलने की यह घड़ी है।
आतंक का उत्तर है भारत
मधुरता है,प्रीत भारत
दुश्मनों के फन को कुचले
विजय का पर्याय भारत।
विश्व मे लहरे तिरंगा!
चहुँ ओर ही गरजे तिरंगा!
भारत शिखर पर ही सदा हो!
जय-जय भारत!जय तिरंगा!
जय-जय भारत!जय तिरंगा!
–अनिल कुमार मिश्र,राँची,झारखंड,भारत।