Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
19 Mar 2020 · 2 min read

जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां !

जय-जय गंगे मां,हर-हर गंगे मां,
पाप नाशनी मां,मोक्ष दायिनी मां,
तारण हारणी मां, हे कल्याणी मां!
हरि चरणों में तेरा वास है,
ब्रह्म कमण्डल में तेरा निवास है,
शिव शंकर की जटा विराजती,
जटा शंकरी हो कहलाती !
माता मैना! पिता हिमालय!,बहन है, जगदंम्बा मां!
जय-जय गंगे मां-हर- हर गंगे मां,जय जटाधारिणी मां!

गौ मुख है उद्गम तेरा,सागर महा प्रयाण,
गंगोत्री है धाम तुम्हारा,तुम्हें शत-शत प्रणाम!
गौ मुख से बहती है तो भागीरथी कहलाती है!
अलकनंदा से मिलती है तो गंगा बन जाती है।
देव प्रयाग बन गया संगम,देवों की पावन भूमि में है प्रथम !
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां, तू कल्याणी मां!

आगे है बढती जाती, ऋषि मुनियों की संगति पाती!
पंहुंची है तू ऋषिकेश-हरिद्वार,
ये अपनी धर्म नगरी है,यहीं है मोक्ष का प्रथम द्वार!
कुंभ नगर है यह सारा,लगता है यहाँ जयकारा!
श्रद्धालुओं का लगता अंम्बार,हर हर गंगे का होता जय जय कार!
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां, जय मोक्ष दायिनी मां ।।

उत्तराखंड से होकर विदा, उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया,
पंहुच गई तुम काशी में,शिव की नगरी मोक्ष दायिनी में!
हर प्राणी यहाँ आकर,तेरे घाट पर मुक्ति पाकर!
है जाता परम धाम,,हेे मोक्ष दायिनी मां,
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां, हे तारण हारणी मां,
तुमको शत शत प्रणाम! तुमको शत शत प्रणाम!।

अभी नहीं तुझको रुकना है,बोध गया में पंहुचना है,
यह तथा गत की शरण स्थली है,पृत्रों की मोक्ष स्थली है!
हम सनातन धर्म के अनुयायी जहाँ,पृत्र मोक्ष की पूजा करते यहाँ
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां,
हे तारण हारी मां,हे कल्याणी मां,हे मोक्ष दायिनी मां!
तुमको शत शत प्रणाम! तुमको शत शत प्रणाम।।

माता तेरा चलना अभी जारी है!
समुद्र की लहरें बुला रही है!
आद्र भाव से तुम्हें पुकार रही हैं,
आकर कृथार्थ करो मां,
बंगाल की खाड़ी में आकर!
मिल गया तुमको ये सागर!
जो भी तुमसे है मिला,तुने उसे अपना लिया!
सबको अपने में समेट,देती अपना नाम!
तुमने सबको है अपनाया,
सागर-अब गंगा सागर है कहलाया!
हे श्रद्धा की परम पावनी,करु वंदन प्रणाम!
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां !!

गौ मुख से तू चलकर,पहुँची सागर के तट पर!
नही किया विश्राम!
हर किसी का किया मनोरथ पूरा!
कराया अमृत पान!
तेरा हर तट है पावन! ऋषि-मुनि करते गुण गान!
हे प्राण दायिनी मां,तारण हारिणी मां,
पाप नाशनी मां, मोक्ष दायिनी मां,
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां,
जय कल्याणी मां, जय जय कल्याणी माँ!
हे अमृत दायनी माँ ! तुमको शत् शत् प्रणाम!!

2 Likes · 1 Comment · 473 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
Books from Jaikrishan Uniyal
View all
You may also like:
3336.⚘ *पूर्णिका* ⚘
3336.⚘ *पूर्णिका* ⚘
Dr.Khedu Bharti
बहके जो कोई तो संभाल लेना
बहके जो कोई तो संभाल लेना
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
मुख पर जिसके खिला रहता शाम-ओ-सहर बस्सुम,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
जिसनै खोया होगा
जिसनै खोया होगा
MSW Sunil SainiCENA
"बाजार "
Dr. Kishan tandon kranti
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
उदास रातें बुझे- बुझे दिन न खुशनुमा ज़िन्दगी रही है
Dr Archana Gupta
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
छुप छुपकर मोहब्बत का इज़हार करते हैं,
Phool gufran
*आजादी की राखी*
*आजादी की राखी*
Shashi kala vyas
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
कोई यहां अब कुछ नहीं किसी को बताता है,
manjula chauhan
Insaan badal jata hai
Insaan badal jata hai
Aisha Mohan
खूब लगाओ डुबकियाँ,
खूब लगाओ डुबकियाँ,
sushil sarna
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
54….बहर-ए-ज़मज़मा मुतदारिक मुसम्मन मुज़ाफ़
sushil yadav
"स्वतंत्रता के नाम पर कम कपड़ों में कैमरे में आ रही हैं ll
पूर्वार्थ
आप, मैं और एक कप चाय।
आप, मैं और एक कप चाय।
Urmil Suman(श्री)
*चुनावी कुंडलिया*
*चुनावी कुंडलिया*
Ravi Prakash
इंतजार बाकी है
इंतजार बाकी है
शिवम राव मणि
नारी का सम्मान 🙏
नारी का सम्मान 🙏
तारकेश्‍वर प्रसाद तरुण
चलो आज कुछ बात करते है
चलो आज कुछ बात करते है
Rituraj shivem verma
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
फ़ुरसत से निकालों वक्त, या अपना वक्त अपने पास रखो;
ओसमणी साहू 'ओश'
*प्यार का रिश्ता*
*प्यार का रिश्ता*
सुरेन्द्र शर्मा 'शिव'
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
जाने जिंदगी में ऐसा क्यों होता है ,
ओनिका सेतिया 'अनु '
विचार, संस्कार और रस-4
विचार, संस्कार और रस-4
कवि रमेशराज
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
हे राम तुम्हारा अभिनंदन।
सत्य कुमार प्रेमी
जिंदगी गुज़र जाती हैं
जिंदगी गुज़र जाती हैं
Neeraj Agarwal
सरस्वती वंदना-4
सरस्वती वंदना-4
डाॅ. बिपिन पाण्डेय
#मुक्तक-
#मुक्तक-
*प्रणय*
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
गुरू
गुरू
Shinde Poonam
हकीकत की जमीं पर हूँ
हकीकत की जमीं पर हूँ
VINOD CHAUHAN
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
ଅର୍ଦ୍ଧାଧିକ ଜୀବନର ଚିତ୍ର
Bidyadhar Mantry
Loading...