जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां !
जय-जय गंगे मां,हर-हर गंगे मां,
पाप नाशनी मां,मोक्ष दायिनी मां,
तारण हारणी मां, हे कल्याणी मां!
हरि चरणों में तेरा वास है,
ब्रह्म कमण्डल में तेरा निवास है,
शिव शंकर की जटा विराजती,
जटा शंकरी हो कहलाती !
माता मैना! पिता हिमालय!,बहन है, जगदंम्बा मां!
जय-जय गंगे मां-हर- हर गंगे मां,जय जटाधारिणी मां!
गौ मुख है उद्गम तेरा,सागर महा प्रयाण,
गंगोत्री है धाम तुम्हारा,तुम्हें शत-शत प्रणाम!
गौ मुख से बहती है तो भागीरथी कहलाती है!
अलकनंदा से मिलती है तो गंगा बन जाती है।
देव प्रयाग बन गया संगम,देवों की पावन भूमि में है प्रथम !
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां, तू कल्याणी मां!
आगे है बढती जाती, ऋषि मुनियों की संगति पाती!
पंहुंची है तू ऋषिकेश-हरिद्वार,
ये अपनी धर्म नगरी है,यहीं है मोक्ष का प्रथम द्वार!
कुंभ नगर है यह सारा,लगता है यहाँ जयकारा!
श्रद्धालुओं का लगता अंम्बार,हर हर गंगे का होता जय जय कार!
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां, जय मोक्ष दायिनी मां ।।
उत्तराखंड से होकर विदा, उत्तर प्रदेश में प्रवेश किया,
पंहुच गई तुम काशी में,शिव की नगरी मोक्ष दायिनी में!
हर प्राणी यहाँ आकर,तेरे घाट पर मुक्ति पाकर!
है जाता परम धाम,,हेे मोक्ष दायिनी मां,
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां, हे तारण हारणी मां,
तुमको शत शत प्रणाम! तुमको शत शत प्रणाम!।
अभी नहीं तुझको रुकना है,बोध गया में पंहुचना है,
यह तथा गत की शरण स्थली है,पृत्रों की मोक्ष स्थली है!
हम सनातन धर्म के अनुयायी जहाँ,पृत्र मोक्ष की पूजा करते यहाँ
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां,
हे तारण हारी मां,हे कल्याणी मां,हे मोक्ष दायिनी मां!
तुमको शत शत प्रणाम! तुमको शत शत प्रणाम।।
माता तेरा चलना अभी जारी है!
समुद्र की लहरें बुला रही है!
आद्र भाव से तुम्हें पुकार रही हैं,
आकर कृथार्थ करो मां,
बंगाल की खाड़ी में आकर!
मिल गया तुमको ये सागर!
जो भी तुमसे है मिला,तुने उसे अपना लिया!
सबको अपने में समेट,देती अपना नाम!
तुमने सबको है अपनाया,
सागर-अब गंगा सागर है कहलाया!
हे श्रद्धा की परम पावनी,करु वंदन प्रणाम!
जय जय गंगे मां,हर हर गंगे मां !!
गौ मुख से तू चलकर,पहुँची सागर के तट पर!
नही किया विश्राम!
हर किसी का किया मनोरथ पूरा!
कराया अमृत पान!
तेरा हर तट है पावन! ऋषि-मुनि करते गुण गान!
हे प्राण दायिनी मां,तारण हारिणी मां,
पाप नाशनी मां, मोक्ष दायिनी मां,
जय जय गंगे मां-हर हर गंगे मां,
जय कल्याणी मां, जय जय कल्याणी माँ!
हे अमृत दायनी माँ ! तुमको शत् शत् प्रणाम!!