जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
तव चरणों में झुक जाते हैं
अनुदिन अनुक्षण अनगिनत माथ
तुम जगपालक ! जगउद्धारक !!
तुम जगसर्जक ! जगसंहारक !!
तुम दीनबंधु ! करुणानिधान !!
देते हो सबका सदा साथ
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
तुम कृपा सदा सब पर करते
सबमें आनंद भाव भरते
वह धन्य धन्य हो जाता है
रख देते जिसके शीश हाथ
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
अनगिनत भक्त करते नर्तन
आते हैं , गाते गीत भजन
तव चरणों पर झुककर होते
हैं कोटि कोटि नर्तक सनाथ
जय जगन्नाथ ! जय जगन्नाथ !!
© – महेश चन्द्र त्रिपाठी