जय कन्हैयालाल की
( 1)
आँख में आँख का तारा बहुत चमकता है
रूप, मनमोहन! तुम्हारा बहुत चमकता है
रमे हो दिल को श्याम तुम जुबान को राधा
नसीब इसलिए हमारा बहुत चमकता है
(२)
कंसों और पूतनाओं के जीवन में भूचाल आ गया
दीनों दुखियों संतों के हित ईश्वर बनकर ढाल आ गया
गाँव- गाँव है गोकुल जैसा गली -गली है कुञ्ज गली
घर घर प्रेम सुधा बरसाने आज नन्द का लाल आ गया
संजय नारायण