जय अयोध्या धाम की
दिव्यमय वातावरण।
भव्य यह जनजागरण।
आस्था के रंग में।
हिन्द वासी संग में।
नृत्य करते झूमते।
राम को सब पूजते।
गूँजता जय घोष है,
देख छवि श्रीराम की।
जय अयोध्या धाम की।
मोहनी छवि को निरख।
भक्ति की जागी अलख।
राम के सब हो गए।
राम में सब खो गए।
नैन से सावन झरे।
हर्ष से सब हैं भरे।
ढूँढती है दृष्टि बस,
छवि अवध निष्काम की।
जय अयोध्या धाम की।
भाव सबका एक है।
पुण्य पावन नेक है।
मातु सरयू तट मिले।
राम रूपी वट मिले।
नित अवध रज चूमके।
गीत गाएँ झूमके।
प्रार्थना में जोड़ कर,
बोल जय सुखधाम की।
जय अयोध्या धाम की।
✍️अरविन्द त्रिवेदी