#सरस्वती_आरती
#सरस्वती_आरती
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मन से मिटे कुविचार माँ शुभ कर्म का उपहार दे |
है आरती स्वीकार कर वरदान दे माँ शारदे ||
हिय से लगा कर वत्स की दुविधा सदा तुम पाटती |
हर विघ्न में बन ढाल माँ विपदा सभी भय छाँटती |
कर नेह की बरसात माँ निज पुत्र को तब पालती |
हर बात का रख ध्यान माँ गुण पुत्र के उर डालती ||
ममता दिखाकर नेह से विपदा मिटा सुखसार दे |
है आरती स्वीकार कर, वरदान दे माँ शारदे||१||
ममतामयी सुखदायिनी वरदायिनी दुखनासिनी |
ममता तले रख ज्ञान दो दुख दूर हो मुखवासिनी |
मतिमंद को अब ज्ञान का वरदान दो भवतारिणी |
अनभिज्ञता हिय से मिटे यह मान दो जगकारिणी ||
मतिमूढ़ को अब बोध का वरदान दे तम तार दे |
है आरती स्वीकार कर, वरदान दे माँ शारदे||२||
शुचि ज्ञान का सुविचार दो तम नाश हो तमहारिणी |
करता रहूँ नित ध्यान पूजन आरती उपकारिणी |
मतिमूढ़ मैं मतिमंद बालक ज्ञान दो वरदायिनी |
उर में रहे निज भक्ति का वरदान दो अनपायनी ||
वरदान दे भव ज्ञान दे अनभिज्ञ को कछु प्यार दे |
है आरती स्वीकार कर, वरदान दे माँ शारदे||३||
है आरती माँ शारदे, स्वीकार हो बागीश्वरी|
तमहारिणी, भवभामिनी, दुखहारिणी सर्वेश्वरी|
उर में दया का बोध दे, हम पातकी माँ ईश्वरी|
तू ज्ञान का पट खोल दे, माँ शारदे ज्ञानेश्वरी||
पग में झुकाकर शीश मैं वर मांगता माँ तारदे |
है आरती स्वीकार कर, वरदान दे माँ शारदे||४||
पूर्णतः स्वरचित , स्वप्रमाणित
✍️ संजीव शुक्ल ‘सचिन’
( शहर का नाम :- मुसहरवा (मंशानगर)