जयकारी छन्द
[ 17/09/2020]
जयकारी,छन्द प्रथम प्रयास
15,मात्राओं का छन्द पदांत गुर लघु से
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स्वर्णिम सी लायी है भोर ।
चिड़िया चहकी चारो ओर ।
गिरे धरा पर है नीहार ।
लगे मनोहर शीत बयार ।
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सुबह शाम लो प्रभु का नाम ।
चाहें कृष्ण कहो या राम ।
बन जाएंगे बिगड़े काम ।
सुखी रहोगे अपने धाम ।
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सखी संग करता वरजोर ।
वो गोकुल का नन्दकिशोर ।
कंकड़ से दी मटकी फोर ।
दही खा रहा माखन चोर ।
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हे बजरंगी हे हनुमंत ।
अंजनिपुत्र वीर बलवंत ।
दिया राम का तुमने साथ ।
मेरी भी सुध ले लो नाथ ।
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वृध्द पिता
कंपित वृद्ध पिता लाचार।
सुत करते है दुर्व्यवहार ।
नहीं मानते सुत अहसान ।
करते हैं उनको परेशान ।
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भूल गये जब थे नादान ।
मात पिता रखते थे ध्यान ।
पढ़ने भेजा सदा स्कूल ।
सारी बातें गए वो भूल ।
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स्वरचित:-
अभिनव मिश्र✍️✍️
(शाहजहांपुर)