#जयंती_व_स्मृति_दिवस
#जयंती_व_स्मृति_दिवस
■ कलिकाल के भागीरत : गोस्वामी तुलसीदास
【प्रणय प्रभात】
आज श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की सप्तमी है। सनातनी पंचांग की एक महान तिथि। वो तिथि, जिसने संसार-सागर को एक अनमोल रत्न दिया। एक ऐसी महामणि के रूप में, जिसके अमित प्रकाश से समूचा विश्व आलोकित है।
जी हां! आज ही के दिन धरा-धाम पर पधारे थे जनप्रिय महाकवि गोस्वामी तुलसीदास। धर्म, आध्यात्म, संस्कृति व ज्ञान-भक्ति रूपी चार दिशाओं के दिगपाल। साहित्य रूपी अनन्त आकाश के चारु-चन्द्र। भक्ति-मार्ग की दोनों धाराओं (ज्ञान व प्रेम) के संगम। भवसागर में भटकते जीवन-रूपी जलपोत के लिए एक प्रकाश-स्तम्भ।
घोर कलिकाल में आदिकवि भगवान श्री बाल्मीकि के अवतार। पतित-पावनी श्री रामकथा मंदाकिनी के भागीरथ। अखिल कोटि ब्रह्मांड-नायक, मर्यादा पुरुषोत्तम प्रभु श्री राम की कीर्ति-गाथा के अमर गायक। मानव-कल्याण व लोक-मंगल की पुनीत भावना के साथ “श्री रामचरित मानस” जैसे महाग्रन्थ के प्रणेता। परम् सद्गुरुदेव श्री हनुमान जी महाराज के अनन्य कृपापात्र व रघुवंश भूषण भगवान श्री राम जी के चरण-कमलानुरागी।
कितनी उपमाएं दूं? कितने बिम्ब और प्रतिमानों का उल्लेख करूं? कितने विशेषण तलाशूं? निर्णय कर पाने में पूर्णतः अक्षम हूं। वैसे भी एक जुगनू की क्या सामर्थ्य, कि सूर्य के तेज का अंशमात्र भी बखान कर सके। चिर-कृतज्ञता के साथ पावन पद-पंकज-रज की वंदना अवश्य कर सकता है। वही करने का एक क्षुद्र सा प्रयास है आज का यह भाव-प्रकटीकरण।
आपकी एक-एक पंक्ति से सुरभित, सुवासित जीवन के अलौकिक क्षणों को आपके पुण्य-प्रताप की देन कहूँ, तो अतिशयोक्ति नहीं। प्रभु श्री सियाराम जी व रुद्रावतार बजरंग बली के श्री चरणों की भक्ति के प्रति आसक्ति जगाने वाली आपकी अतुल्य कृपा स्तुत्य है और जीवन-पर्यंत रहेगी। सम्पूर्ण आस्था व कृतज्ञता के साथ बस एक दोहा श्रीचरणों में निवेदित व समर्पित करता हूं। आज आपकी जयंती व प्रयाण-स्मृति के अवसर पर:-
“राम कथा मंदाकिनी, पहुंचाई हिय-द्वार।
जुग-जुग तुलसीदास की, होगी जय-जयकार।।”
दिग्भ्रमित मानव समुदाय को “श्री रामचरित मानस” जैसा दिव्य ग्रंथ प्रदान करने वाले महाकवि गोस्वानी तुलसीदास जी की जयंती एवं महानिर्वाण दिवस पर कौटिशः प्रणाम।
●सम्पादक●
न्यूज़ & वयूज़
श्योपुर (मप्र)