जमीं से रिश्ता बनाये रखिये
बंजर जमीं में भी दरख़्तों को लगाए रखिये,
पतझड़ में भी गुलशन को सजाये रखिये।
हर उड़ान में होती है थकावट कभी-कभी,
आकाश में उड़िये, पर ज़मीं से रिश्ता बनाये रखिये
बंजर जमीं में भी दरख़्तों को लगाए रखिये,
पतझड़ में भी गुलशन को सजाये रखिये।
हर उड़ान में होती है थकावट कभी-कभी,
आकाश में उड़िये, पर ज़मीं से रिश्ता बनाये रखिये