जमीं पर पांव है मेरे __ मुक्तक
चांद मैं ला नहीं सकता _ जमीं पर पांव है मेरे।
पेड़ की छांव मैं बैठा हूं_ यहीं पर गांव में तेरे।।
अगर मंजूर तुझको हो_पास मेरे चली आना।
पहना दूंगा पायलिया _चांदी की पांव में तेरे।।
_कवि _ राजेश व्यास अनुनय
चांद मैं ला नहीं सकता _ जमीं पर पांव है मेरे।
पेड़ की छांव मैं बैठा हूं_ यहीं पर गांव में तेरे।।
अगर मंजूर तुझको हो_पास मेरे चली आना।
पहना दूंगा पायलिया _चांदी की पांव में तेरे।।
_कवि _ राजेश व्यास अनुनय