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17 Aug 2020 · 1 min read

जमाने की खुशियाँँ निसार दी

***ज़माने की खुशियाँ निसार दी***
****************************

जिन्दगी बहारां मुझे तुझ पर नाज है
खुशनुमां तू कल भी थी और आज है

किन अल्फ़ाज़ों में तेरा शुकराना दूँ
जो भी तूने अब दिया,वो बन्द राज है

कोई गिला शिकवा नही,शिकायत हैं
बजता रहा जीवन में तेरा ही साज है

ज़माने की खुशियाँ तूने हैं निसार दी
कैसे चुकाऊंगा ऋण, तेरा नवाज़ है

तेरे ही रहमोकरम से सदा आबाद हूँ
बर्बादियों से बच गया,सिर पे ताज है

मनसीरत जो भंवर जाल में था फंसा
दरिया हो गया पार नहीं गिरी गाज़ है
****************************
सुखविंद्र सिंह मनसीरत
खेड़ी राओ वाली (कैथल)

Language: Hindi
2 Likes · 2 Comments · 192 Views
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