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8 Aug 2022 · 2 min read

जमाना बदल गया (लघु कथा )

जमाना बदल गया (लघु कथा )
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महाकवि की आयु 85 वर्ष की हो चुकी है। करीब 22 काव्य संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं। न जाने कितने पुरस्कार, सम्मान ,उपाधियां विभिन्न संगठनों और संस्थाओं के द्वारा उन्हें प्राप्त हुई हैं, लेकिन आज पोते ने उनसे जो शब्द कहे, उसने उन्हें भीतर से झकझोर कर रख दिया। हुआ यह कि महाकवि घर के ड्राइंग रूम में अपनी किताबें और स्मृति चिन्ह तल्लीनता से देख रहे थे कि तभी पोते शरद ने जो अभी-अभी चार्टर्ड अकाउंटेंट बन कर आया है उनसे पूछ लिया कि आप दादाजी इतनी कठिन हिंदी में क्या लिखते हैं? हमारी तो कुछ समझ में नहीं आता। आप अंग्रेजी में क्यों नहीं लिखते ताकि सब लोग समझ लें।”
दादाजी ने यह सुनकर पोते से कहा “बेटा सब कुछ तो तुम्हारी समझ में आने लायक ही लिखा था। अब अपनी भाषा को जब तुम लोग भूल गए तो मैं क्या कहूं ! हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा है मातृभाषा है…”
तभी कमरे में पुत्रवधू में प्रवेश किया और कहा ” बाबूजी ! आप फिर पुराने जमाने की बातें लेकर बैठ गए। आजकल इन कविताओं को कौन पढ़ता है और यह इस जमाने में किस काम की चीजें हैं ।आपको पुरस्कार मिले हैं ,ठीक है । हम भी ड्राइंग रूम में स्मृति चिन्हों को सजाए हुए हैं।”
इतना कहकर पुत्रवधू अपने बेटे शरद को अपने साथ ले कर चली गई और बस तब से महाकवि का मन उचाट खाया हुआ है। वह कभी अपनी पुस्तकों को देखते हैं कभी स्मृति चिन्हों को देखते हैं और फिर सोचने लगते हैं …..क्या सचमुच जमाना बदल गया है ?
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लेखक: रवि प्रकाश
बाजार सर्राफा
रामपुर
मोबाइल 999 761 5451

Language: Hindi
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