जमाना चला गया
दिनांक :-7/6/2024
#शीर्षक:- जमाना चला गया।
पटरी को रगड़-रगड़ कर साफ करते थे,
अब दवात-सेंठा का फसाना चला गया।
नरकुल के पौधे अब कहीं भी दिखते नहीं,
दुद्धी छोड़ खड़िया का भी जमाना चला गया।
कुछ आगे आए तख्ती और चाॅक थाम लिया,
स्याही खत्म बालपेन का जमाना आ गया।
समय घड़ी से नहीं पहर से बताया जाता,
अब तो शिक्षा संस्कार का जमाना चला गया।
पहेलियों और कहावतें कह सब आनन्दित होते,
टी. बी. के आगे लोक नृत्य मनोरंजन चला गया।
पडोसी अपने थे घर-आंगन ठहाका गूंजता,
बदला दौर गांव भी शहर बनता चला गया।
भाव प्रकट कर देती स्नेहिल शब्दों की पाती पर,
चौबीस घण्टे वार्तालाप में अन्तराल होता चला गया।
जुनून नए का चढा पुराना जमाना चला गया,
देखते ही देखते ,सब बदल बदलता चला गया।
(स्वरचित)
प्रतिभा पाण्डेय “प्रति;
चेन्नई