जमाना कितना बदल चुका है ….
आज जमाना कितना बदल गया है ,
इसका एहसास हमें बहुत हो चुका है साहब!!
मासूम और सीधा इंसान गैर तो क्या ,
दोस्तों और घर वालों में मंदबुद्धि कहलाता है ।
वो हरिश्चद्र का सतयुग खत्म हो चुका,
अब सत्य मार्ग पर चलने वाला पागल कहलाता है ।
ईमानदारी को निभाने वाला इंसान ,
समाज में कदम कदम पर धोखे खाता है ।
सद्चारित्रता को अब सम्मान नहीं मिलता ,
बल्कि झूठे आरोप लगाकर लांछित किया जाता है ।
मानवीय मूल्यों का सदा ह्वास होता है ,
और जो सम्मान दे उसका उपहास किया जाता है ।
आदर्शवादिता तो अब किताबी बातें हो गई ,
ये उच्च श्रेणी शब्द लोगों को कहां समझ में आता है?
अब तो व्यवहारिकता का अर्थ ही बदल चुका है,
जो है जितना मक्कार , दंभी , स्वार्थी , गिरगिट
स्वभाव वाला वही तो समझदार कहलाता है ।