जमाना और *बाबा साहब* पर आधारित संदेश गीत.
“बाबा साहब को समर्पित मेरा एक गीत”
मेरी दीपक रुप रचना बाबा साहबपर ।
.
जमाना कथा सुनाता है ।
बाबा साहब हकीकत सुनाते है ।
वो कल्पनाओं से ग्रंथों में उलझाते है ।
साहब हक के खातिर संविदा रचते है ।
.
वे वर्ण जाति का ज़हर फैलाते है ।
साहब समानता के तथ्य गिनाते है ।
वे मानवता को दबाते है ।
साहब जीवन मूल्य गिनाते है ।
.
वे मानवता को शर्मसार करते है ।
बाबा उत्थान और उज्ज्वल संदेश से ।
बुद्ध हो जाते है ।
जीवन हो परमात्मा जिनका ।
वे ही बलि जीवों में रोक पाते है ।
.
कर्म गति से वाकिफ साहेब ।
अधिकार और कर्तव्य को गति बताते है ।
स्वतन्त्र भारत को लोकतंत्र बना उसे
संविदा का अमलीजामा पहनाकर
गणतंत्र इसे बनाते है ।।
.
हर नागरिक को हर सम्प्रदाय को व्यस्क मताधिकार देकर लोकतंत्र की मजबूत नींव वे रख देते है ।
.
लोकतंत्र में प्रथम पंक्ति
लोगों से,
लोगों के लिए,
लोगों द्वारा,
मूल मूल्य अधिकार पुष्प सजाते है ।।
.
गावे डॉ. महेंद्र गीत बाबा साहब के चरितार्थ
मत रहना अपने *अधिकार *कर्तव्यों से वंचित वरन् ये वजह ही संविदा पर दाग लगाती है ।
आजादी फिर से धूमिल हो जाती है ।
.
इस रचना रुपी पुष्पों से महेंद्र की ओर से बाबा साहब को बारम्बार चरण वंदना जय भीम
.
जय भीम?जय संविधान?जयहिंद?