जमाना उड़ान को देखता है
जमीन पर बैठ कर,क्यो आसमान को देखता है।
पंख अपने ही फैला,जमाना उड़ान को देखता है।।
कमाई दूसरे की देखकर,क्यो तू जलता है।
कमाई अपनी ही कर,उसी से काम चलता है।।
बुराई मत कर किसी की,भगवान भी देखता है।
भला कर सभी का,भगवान उसे भी देखता है।।
कर रहा है इकठ्ठा जो धन दौलत यही सब रह जायेगा।
बाट ले उसको अपने हाथो से, पुण्य तेरे साथ जायेगा।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम