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9 Jul 2020 · 1 min read

जब से दिल में समा गयीं आँखें

ग़ज़ल
2122 1212 22

जब से दिल में समा गयीं आँखें।
होश मेरे उड़ा गयीं आँखें।

कैसा जादू चला गयीं आँखें।
पल में अपना बना गयीं आँखें।

एक दूजे में खोयी रहती हैं
इतनी आँखों को भा गयीं आँखें।

जिनकी दुनिया से पर्दा-दारी थी
राज़ वो सब बता गयीं आँखें।

और दुनिया को भूल बैठी हैं
जब से तुमको हैं पा गयीं आँखें।

किसके बारे में सोचकर हीरा
आँसुओं में नहा गयीं आँखें।

हीरालाल

4 Likes · 2 Comments · 320 Views
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