जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात
जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात
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जब से हुई है उनसे मेरी मुलाकात,
दिल में होने लगी है प्यार की बरसात।
नन्हीं नन्हीं बूंदे पड़ने लगी है अब,
हरे होने लगे हैं दोनों के अब वे जज़्बात।।
नभ में छाई है जबसे कारी बदरिया,
मन करता है पहुंच जाऊं मै पास सवरिया।
पहुचू मै पास उनके शहर अब कैसे?
गगन से डरा रही है ये बैरन बिजुरिया।
रिमझिम रिमझिम पानी बरस रहा है अब,
मिलने को पिया से मन तरस रहा है अब।
क्या करूं मै मुझे कोई तो कुछ बताए,
कोई उपाय ना मुझे सूझ रहा है अब।।
जब भी द्वार पर कोई आहट होती है,
मुझे उनके पैरों की आवाज सुनाई देती है।
उठती हूं मै तुरंत जाकर द्वार खोलती हूं,
न आने पर उनके मुझे घबराहट होती हैं।।
न आने पर दिल मेरा धड़कने लगता है,
मिलने के लिए मेरा दिल मचलने लगता है।
करू तो क्या करू इस बुरे हालात में,
बस खुदकुशी करने को मेरा मन करता है।
याद आती है अब उन मुलाकातों की,
जब भीगे थे संग हम उन बरसातो की।
कैसे भुला दू मै उन सब बातों को अब,
और मिलन भुला दू उन मै रातो की।।
आर के रस्तोगी गुरुग्राम