जब से मिले हो तुम
जब से मिले हो तुम
मैं गीत गा रहा हूं
अब नहीं जानता ये
मैं कहां जा रहा हूं।।
जानता हूं मैं इतना
अब सुकूं पा रहा हूं
धीरे धीरे ही सही
तेरे दिल में आ रहा हूं।।
दिखता नहीं जब तू
मैं बैचैन हो रहा हूं
चांद बिना अमावस्या
की रैन हो रहा हूं।।
जब से देखा है मैंने तुम्हें
तेरे प्यार में खो गया हूं
तुझे सपनों में देखने की आस
में आज जल्दी सो गया हूं।।
अब तो तुझसे मिलने की
उम्मीद में ही जी रहा हूं
बैठा हूं इंतजार में तेरे अब
आंसुओं के घूंट पी रहा हूं।।
मिलेगा तेरा प्यार मुझे
रब पर यकीन करता हूं
अभी तो बस सपनो में
ही तुम्हें बाहों में भरता हूं।।
मेरा सपना भी होगा पूरा
ईश्वर पर विश्वास करता हूं
मिलोगे तुम मुझे क्योंकि
मैं तुमसे ही प्यार करता हूं।।
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